यात्रा वृत्तांत >> घुमक्कड़ शास्त्र घुमक्कड़ शास्त्रराहुल सांकृत्यायन
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‘घुमक्कड़-शास्त्र’ के लिखने की आवश्यकता मैं बहुत दिनों से अनुभव कर रहा था। मैं समझता हूँ और भी समानधर्मा बन्धु इसकी आवश्यकता को महसूस कर रहे होंगे। घृमक्कड़ी का अंकुर पैदा करना इस शास्त्र का काम नहीं ; बल्कि जन्मजात अंकुरों की पुष्टि, परिवर्धन तथा मार्ग-प्रदर्शन इस ग्रन्थ का लक्ष्य है। घुमक्कड़ों के लिए उपयोगी सभी बातें सूक्ष्म रुप में यहाँ आ गई हैं, यह कहना उचित नहीं होगा, किन्तु यदि मेरे घुमक्कड़ मित्र अपनी जिज्ञासाओं और अभिज्ञाताओं द्वारा सहायता करें, तो मैं समझता हूँ, अगले संस्करण में इसकी कितनी ही कमियाँ दूर कर दी जायेंगी।
इस ग्रंथ के लिखने में जिनका आग्रह और प्रेरणा कारण हुई, उन सबके लिए मैं हार्दिक रूप से कृतज्ञ हूँ। श्री महेश जी और श्री कमला परियार (अब सांकृत्यायन) ने अपनी लेखनी द्वारा जिस तत्परता से सहायता की, उसके लिए उन्हें मैं अपनी और पाठकों की ओर से भी धन्यवाद देना चाहता हूँ। उनकी सहायता बिना वर्षों से मस्तिष्क में चक्कर लगाते विचार कागज पर न उतर सकते।
– राहुल सांकृत्यायन
द्वितीय संस्करण
‘घुमक्कड़-शास्त्र’ का यह दूसरा संस्करण निकल रहा है। इसकी कदर हुई है, नौजवानों की नहीं वृद्धों में भी, तभी तो युनिवर्सिटियों ने अपनी पाठ्य-पुस्तकों में इसके अध्यायों को जगह दी।
– राहुल सांकृत्यायन
विषय-सूची
- अथातो घुमक्कड़-जिज्ञासा
- जंजाल तोड़ो
- विद्या और वय
- स्वावलंबन
- शिल्प और कला
- पिछड़ी जातियों में
- घुमक्कड़ जातियों में
- स्त्री घुमक्कड़
- धर्म और घुमक्कड़
- प्रेम
- देश-ज्ञान
- मृत्यु-दर्शन
- लेखनी और तूलिका
- निरुद्देश्य
- तरुणियाँ कैसे करें ?
- स्मृतियाँ
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